दीपावली की पूजन विधि


पवित्रता में शक्ति निवास करती है और पवित्र होने का सर्वोत्तम साधन सर्व शक्तिमान का स्मरण है।

पवित्रीकरण मंत्र

ॐ अपवित्र: पवित्रे वा सर्वावस्थां गताऽअपि वा। यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचि:॥ इस पढ़ते हुए स्वयं एवं पूजा सामग्री पर जल के छींटें लगाते रहना चाहिए। इससे अपवित्र भी पवित्र हो जाता है ।
संकल्प:
हरिः ॐ अद्य अमुक संवत्सरे अमुक मासे अमुक पक्षे अमुक तिथौ अमुक वासरे अमुक गोत्रस्य अमुक नाम अहम् फल प्राप्त्यर्थ सपरिवारस्य श्री गणेशादि महालक्ष्मी पूजनं च अहम् करिष्ये
मनन:
ॐ नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः । नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: मताम् ॥
प्रत्येक देवता की पूजा में ध्यान, पूजन तथा नमस्कार ये तीन क्रम होते हैं। इनका ध्यान रखते हुए पूजा करनी चाहिए।

गणपति पूजन

एकदन्तो महाबुद्धिः सर्वज्ञो गणनायकः ।
सर्वसिद्धिः करो देवः गौरीपुत्र-विनायकः।
ॐ सुमुरवश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णक:।
लम्बो-दरश्चविकटो, विघ्ननाशो विनायकः ॥
ध्यानम्:
ॐ गं गणापतये नमः- यह मंत्र बोलते हुए गणेश जी का पूजन करें।
पूजन:-
ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐअर्ध्य समर्पयामि । ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ स्थानीयं समर्पयामि । ॐमांगलिक वस्त्र समर्पयामि। ॐ अक्षतान् समर्पयामि । ॐ पुष्पाणि समर्पयामि। ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि । ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि। ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ ताम्बूलं समर्पयामि। ॐ फलानि समर्पयामि। ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि। ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि । ॐ नमस्करोमि ।
नमस्कार:
गजाननम् भूतगणादि सेवितम् कपित्थ जम्बूफल चारू भक्षणम्। उमा सुतम् शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम् ॥ वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ: ! निर्विघ्नं कुरू मे देव: सर्वकार्येषु सर्वदा । अनया पूजया सिद्धि-बुद्धि सहिताय गणपतिदेव प्रियतान्नमम् सुप्रसन्नो।

वरदो भव :- ऐसा बोलकर जल छोड़ देवे।


कलश पूजन

कलश के नीचे गेहूँ रखें, कलश में पानी, घास, आम के पत्ते, चावल, सुपारी आदि डालें फिर ढक्कन रखें, ढक्कन में चावल रखें, फिर लाल कपड़े में नारियल लपेट के ढक्कन पर रखें। रोली से स्वातिक बनायें।


ध्यान्: ऋग्वेदाय नमः। ॐ यजुर्वेदाय नमः । ॐ सामवेदाय नमः। ॐ अथर्ववेदाय नमः । ॐ कलशाय नमः । ॐ रूद्राय नमः समुद्राय नमः । ॐ गंगायै नमः ॐ यमुनायै नमः । ॐ सरस्वत्यै नमः । ॐ कलश कुम्भाय नमः ॐ कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रूद्रः समाश्रितः। ॐ
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मधये मातृगणा: स्मृता:॥
पूजन :-
ॐ वरूणाय नमः ॐ यह मंत्र बोलते हुए वरूणदेव का पूजन करें। ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐअध्ध्य समर्पयामि ॐ आचमनीयं समर्पयामि ॐ स्थानीयं समर्पयामि। ॐ मांगलिक वस्त्रं समर्पयामि। ॐ अक्षतान् समर्पयामि। ॐ पुष्यपाणि समर्पयामि। ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि । ॐ आचमनीयं समर्पयामि ॐ ताम्बूलं समर्पयामि। ॐ फलानि समर्पयामि। ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि । ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि । ॐ नमस्करोमि
नमस्कार :-
नमो नमस्ते स्फाटिक प्रभाय सुश्वेतहाराय सुमंगलाय सुपाश हस्ताय झषासनाय जलधिनाथाय नमो नमस्ते ॥ अनया पूजया श्री वरूणदेव प्रियतान्नमम सुप्रसको वरदोभवः ऐसा बोलकर जल छोड़ देवे

षोडशमातृ का पूजनम्

ध्यानम्
गौरी पद्मा शची मेधा, सावित्री विजया जया। देव सेना स्वधा स्वाहा, मातरो लोकमातरः ॥ पूजन:- यह मंत्र बोलत हुए पूजन करें। ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐ अध्ध्य समर्पयामि। ॐ आचमनीयं समर्पयामि ॐ स्थानीयं समर्पयामि। ॐमांगलिक वस्त्रं समर्पयामि। ॐ अक्षतान् समर्पयामि ॐ पुष्पाणि समर्पयामि ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि । ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ ताम्बूलं समर्पयामि ॐ फलानि समर्पयामि ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि । ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि। ॐ नमस्करोमि ।
धृतिः पुष्टि तथा तुष्टि आत्मनः कुलदेवता गणेशम्बिका सहित षोडशमातृकाम् स्थापयामि पूजयामि ।
ॐ मातृकेभ्योनमः ॐ
नमस्कार:
जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते। अनया पूजया गौर्यादि षोडशमातृकाम् प्रियन्तां न सुप्रसन्नो वरदा भवस्त ॥

नवग्रह पूजन

ध्यानम्:
ॐ सुर्याय नमः । ॐ सोमाय नमः । ॐ भौमाय नम ॐ बुधाय नमः । ॐ वृहस्पतये नमः ॐ शुक्राय नमः ॐ शनैश्चराय नमः। ॐ राहवे नमः ॐ केतवे नमः पूजनम् :-
ॐ नवग्रहेभ्यो नमः ॐ
यह मंत्र बोलकर पूजन करें। ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐ अध्ध्य समर्पयामि ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ स्थानीयं समर्पयामि । ॐमांगलिक वस्त्ं समर्पयामि। ॐ अक्षतान् समर्पयामि ॐ पुष्पाणि समर्पयामि। ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि। ॐ आचमनीयं समर्पयामि ॐ ताम्बूलं समर्पयामि। ॐ फलानि समर्पयामि । ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि। ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि । ॐ नमस्करोमि
नमस्कार:
ॐ ब्रह्मा मुरारि स्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशी भूमि सुतो बुधाश्चः । गुरूश्च शुक्र: शनि राहु केतवः सर्वे ग्रहा: शान्तिकरा भवन्तु। अनया पूजया श्री सूर्यादि नवग्रह प्रयिंतान्नमम सुप्रसन्नो। वरदा भवन्तु।

श्री महालक्ष्मी पूजनम् :

ध्यानम्
महालक्ष्मि नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि हरि प्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे।।
पूजन:
ॐ महालक्ष्म्यै नमः ॐ
इस मंत्र से पूजा करें।
ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐअध्ध्य समर्पयामि ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ स्थानीयं समर्पयामि । ॐमांगलिक वस्त्रं समर्पयामि। ॐ अक्षतान् समर्पयामि। ॐ पुष्पाणि समर्पयामि। ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि ॐ आचमनीयं समर्पयामि ॐ ताम्बूलं समर्पयामि। ॐ फलानि समर्पयामि ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि ।
ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि । ॐ नमस्करोमि
नमस्कार:
सर्व मंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते। नमस्तेस्तु महामाये श्रीपीठे सुर पूजिते। शंख चक्र गदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमाऽस्तु ते ॥

कुबेर पूजन


गल्ले के डिब्बे, तिजोरी आदि में स्वस्तिक लिखकर कुबेर स्थान पूजन करें।


ध्यानम् आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरू।
कोशं वर्द्धय नित्यं त्व परिरक्ष सुरेश्वर ॥
ॐ कुबेराय नमः ॐ


इस मंत्र से पूजन करें।
सात हल्दी की गांठ, साबुत धनिया, पांच कमल गटा, सिक्का चांदी या सोने का कुबेर स्थान पर रख देवें


पूजन:
ॐ पाद्यं समर्पयामि । ॐअध्ध्य समर्पयामि । ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ स्थानीयं समर्पयामि ॐमांगलिक वस्त्रं समर्पयामि ॐ अक्षतान् समर्पयामि। ॐ पुष्पाणि समर्पयामि। ॐ धूपम् आघ्रापयामि। ॐ दीपम् दर्शयामि ॐ नैवेद्यम् निवेदयामि। ॐ आचमनीयं समर्पयामि । ॐ ताम्बूलं समर्पयामि ॐ फलानि समर्पयामि। ॐ दक्षिणा-द्रव्यम् समर्पयामि। ॐ पुष्पांजलिं समर्पयामि । ॐ नमस्करोमि
नमस्कार:
धनदाय नमस्तुभ्यं निधि पाद्यधिपाय। भगवन् त्वत्प्रसादेन धान धान्यादि सम्पदः ।

महाकाली पूजन

मषिपात्र (द्वात) के मौली बांधकर तथा स्वस्तिक बना दें। महाकाली की प्रतिनिधि कलम-दुवात है।
श्री महाकाल्यै नमः
इस मंत्र से पूजन करें तथा प्रार्थना करें। यथा:- कालिके ! त्वं जगन्मातर्मसरूपेण वर्तसे।
उत्पन्ना त्वं च लोकानां व्यवहार प्रसिद्धये ॥ लेखनी निर्मिता पूर्व ब्रह्माणा परमेष्टिना ।। लोकानां च हितार्थाय तस्मात्तां पूजयाम्यहम्॥
ॐ लेखनी स्थायी देव्यै नमः ॐ- इस में से लेखनी कलम, पैन आदिऋ की पूजन करें तथा प्रार्थाना करें। यथा:

महासरस्वती पूजनः

बही- रजिस्टर-रोकर-बसना और खाता लिखने के में स्वास्तिक लिखें। स्वास्तिक को कुंकुम से चर्चित करें। ॐ वीणा पुस्तक धारिण्यै श्री सरस्वत्यै नमः- इस मंत्र से पूजन करें तथा प्रार्थना करें। यथा:- पंजिके सर्वलोकानां निधिरूपेण वर्तसे। अतस्त्वां पूजायिष्यामि, व्यवहारस्य सिद्धयै ।।
इसके अनन्तर रोकड़-खाता पंजिका में श्री गणेशाय नमः लिखकर मिति चालू करें। यह बोलते हुए नमस्कार करें। या कुन्देन्तु तुषार हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणा वरदण्डमण्डितकरा या श्वेत पद्यासना ॥ या ब्रह्माच्युत शंकर प्रभृतिभि: र्देवैः सदा वन्दिता। सा मां मातु सरस्वती भगवती नि: शेषजाडयापहा ॥

तुला पूजन:

तराजु के मौली बाँधकर उसे सिंदूर के स्वस्तिक बनाकर पूजन करें।
ॐ तुलायै नमः ॐ
इस मंत्र से पूजन करें तथा नमस्कार करें यथा ॐ नमस्ते सर्वदेवानां, शक्तित्वे सत्यमाश्रिता। साक्षी भूता जगद्धात्री, निर्मिता विश्वयोनिना।
इसके बाद दीपक जलाकर आरती उतारते हुए श्री महालक्ष्मी जी को अर्पित करें। ॐ दीपावल्यै नमः ॐ इस मंत्र से दीपकों को पूजन करें। अंत में कपूर तथा घी की बत्ती जलाकर श्री महालक्ष्मी जी की आरती करें। कर्पूर गौरं करूणावतारं संसार सारं भुजगेन्द्रहारम् सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहित नमामि । इसके बाद "लक्ष्मी जी की आरती" करें ।
अन्त में क्षमा प्रार्थना करें: ॐ आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ॥ मंत्रहीनं क्रियाहीनं, भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णम् तदस्तु में । ॥ ॐशान्तिः ॐ शान्तिः ॐ शान्तिः॥



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