महाशिवरात्रि


Mahashivratri

महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि को भगवान् शिव का ब्रह्म से रूद्र रुप में अवतरण हुआ था । प्रलय की बेला में इसी दिन रात्रि प्रारंभ होने के समय तांडव करते हुए भगवान् शिव ने ब्रह्मांड को अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से समाप्त कर दिया था, इसलिए भी इसे महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि शिव के लिंग रूप में उद्भव का दिन भी माना जाता है।

भारतीय व्रतों में महाशिवरात्रि व्रत का बड़ा महत्व बताया गया है । उत्तर भारत में जहां जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जाती है । कश्मीरी पंडित तो इसे निरंतर सोलह दिनों तक मनाते रहते हैं, जिसमें शुरू से आखिर तक बेहद उत्साह और उत्सव का माहौल देखने को मिलता है । इस दौरान शिव-पार्वती के विवाह का समारोह वे पूरे चार दिन तक मनाया जाता है। यद्यपि शिव का बाह्यय रूप अमंगल दिखने वाला होने पर भी वे भक्तों का मंगल ही करते है और ऐश्वर्य एवं संपत्ति प्रदान करते हैं । माना गया है कि महाशिवरात्रि के बराबर कोई दूसरा पापनाशक व्रत नहीं है । इस व्रत को करके मनुष्य अपने सब पापों से छूट जाता है और अनंत फल को पाता है । जिसमें एक हजार अश्वमेघ तथा सौ वाजपेय यज्ञ का फल सम्मिलित है। यह भी माना गया है कि जो मनुष्य 14 वर्ष तक निरतंर इस व्रत का पालन करता है, उसके कई पीढ़ियों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसको शिवलोक की प्राप्ति होती है ।

इस दिन पारद शिव लिंग का विधि-विधान से अभिषेक किया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन गंगास्नान का बड़ा माहात्म्य बताया गया है । शिवजी की पूजा में बेल पत्र को चढ़ाना विशेष महत्व रखता है । ऐसा विल्व पत्र जिसमें तीन या पांच पत्ते एक में हों तथा स्वच्छ हों । भक्त चढ़ाए गए बेल पत्र की संख्या के बराबर युगों तक कैलाश में सुखपूर्वक वास करता है । श्रेष्ठ योनी में जन्म लेकर भगवान् शिव का परमभक्त होता है । पूजा में केवल तीन पत्तियों वाले या पांच पत्तियों वाले अखंडित बेलपत्र ही चढ़ावे। जो मन, वचन, कर्म, से श्रद्धा और समर्पण के साथ भगवान् शिव को अर्पित किया गया है । शास्त्र के अनुसार बेल पत्र की तीन पत्तियों को शिव के त्रिनेत्र का प्रतीक माना गया है । यूं तो महाशिवरात्रि के दिन भक्तगण अक्सर भांग का सेवन भगवान् शिव का प्रसाद समझ कर करते हैं, लेकिन इस दिन बेर खाने का जो महत्त्व है, उतना किसी और चीज का नहीं । जो शिवभक्त महाशिवरात्रि का व्रत विधि पूर्वक संपन्न करता है, उसे सांसारिक कष्टों एवं बन्धनों से मुक्ति मिल जाती है।




[About Us] [Service Locations] [Terms & Conditions] [Privacy Policy] [Pricing] [Refunds] [Contact Us]

कॉपीराइट 2003-2025 OnlineMandir.com | Powered by Classic

Saptvar Katha

Aarti

Janamkundli

Panchang

Navdurga

Satyanarayan Katha

Shani Dev