बुध पीले रंग की पुष्पमाला तथा पीला वस्त्र धारण करते हैं। उनके शरीर की कान्ति कनेर के पुष्प की जैसी है। वे अपने चारों हाथों में क्रमशः - तलवार, ढाल, गदा और वरमुद्रा धारण किये रहते हैं। वे अपने सिर पर सोने का मुकुट तथा गले में सुन्दर माला धारण करते हैं। उनका वाहन सिंह है।
अथर्ववेद के अनुसार बुध के पिता का नाम चन्द्रमा और माता का नाम तारा है। ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा, क्योंकि इनकी बुद्धि बड़ी गम्भीर थी। श्रीमदभागवत के अनुसार ये सभी शास्त्रों में पारंगत तथा चन्द्रमा के सम्मान ही कान्तिमान् हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार इनको सर्वाधिक योग्य देखकर ब्रह्मा ने इन्हें भूतल का स्वामी तथा ग्रह बना दिया।
महाभारत की एक कथा के अनुसार इनकी विद्या-बुद्धि से प्रभावित होकर महाराज मनु ने अपनी गुणवती कन्या इलाका का इनके साथ विवाह कर दिया इला और बुध के संयोग से महाराज पुरूरवा की उत्पत्ति हुई। इस तरह चन्द्रवंश का विस्तार होता चला गया।
श्रीमदभागवत के अनुसार बुध ग्रह की स्थिति शुक्र से दो लाख योजन ऊपर है। बुध ग्रह प्रायः मंगल ही करते हैं, किन्तु जब ये सूर्य की गति का उल्लघन करते हैं, तब आँधी- पानी और सूखे का भय प्राप्त होता है।
मत्स्यपुराण के अनुसार बुध ग्रह का वर्ण कनेर पुष्प की तरह पीला है। बुध का रथ श्वेत और प्रकाश से दीप्त है। इसमें वायु के समान वेग वाले घोड़े जुते रहते हैं। उनके नाम-श्वेत, पिसंग, सारंग, नील, पीत, विलोहित, कृष्ण, हरित, पृष, और पृष्णि हैं।
बुध ग्रह के अधिदेवता और प्रत्यधिदेवता भगवान् विष्णु हैं। बुध मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं। इनकी महादशा 17 वर्ष की होती है।