दुर्गा सप्तशती एक पवित्र पाठ है, जो देवी दुर्गा की शक्ति, महिमा, और उनके अद्वितीय पराक्रम का विस्तृत वर्णन करता है। यह पाठ 700 श्लोकों का संग्रह है, जिसे 13 अध्यायों में विभाजित किया गया है। दुर्गा सप्तशती में तीन मुख्य कथाएँ हैं, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों के माध्यम से महिषासुर, शुंभ-निशुंभ, और मधु-कैटभ जैसे दानवों के नाश की गाथा सुनाती हैं। इस पाठ में देवी दुर्गा को सर्वशक्तिमान देवी के रूप में दर्शाया गया है, जो सृष्टि की रक्षा करती हैं और अधर्म का नाश करती हैं। दुर्गा सप्तशती का महत्व सिर्फ देवी की उपासना तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे अध्यात्मिक जागरण और शुद्धि का साधन माना जाता है। यह पाठ न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान किया जाता है, बल्कि व्यक्तिगत साधना के रूप में भी इसका महत्व है। इसे पढ़ने वाले व्यक्ति को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आत्मिक बल प्राप्त होता है।
विशेष रूप से नवरात्रि के समय इस पाठ का अद्वितीय महत्व होता है, जब नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस अवधि में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि इस पाठ को श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ नकारात्मक शक्तियों और दुष्ट आत्माओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।